नंदी का मुख शिवलिंग की ओर क्यों होता है? जानिए इसका महत्व और पौराणिक कथा!

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Why does Nandi face Shivalinga? Know its importance and mythology!

शिव मंदिरों में, यह देखना आम है कि पवित्र बैल नंदी का मुख शिव लिंग की ओर होता है, और भक्त धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए अनुष्ठान और प्रार्थना करते हैं। बाद में, कई लोग नंदी के कानों में फुसफुसाकर अपने दिल की इच्छाएं व्यक्त करते हैं, उनका मानना ​​है कि नंदी उनकी इच्छाओं को भगवान शिव तक पहुंचाते हैं। शिव मंदिरों में संपूर्ण शिव परिवार और उनके दिव्य वाहन की मूर्तियाँ भी होती हैं।

लेकिन क्या आपने कभी शिव मंदिरों में इन मूर्तियों द्वारा दिए गए संदेशों और उनके पीछे के प्रतीकवाद के बारे में सोचा है?

शिव मंदिरों में नंदी की स्थिति का विशेष महत्व है, जिनका मुख शिव लिंग की ओर होता है। प्रतीकवाद इस बात में निहित है कि नंदी किस प्रकार भगवान शिव के वाहन के रूप में कार्य करते हैं। इसी प्रकार, हमारा शरीर आत्मा के लिए एक वाहन के रूप में कार्य करता है। जिस तरह नंदी की नजरें शिव पर टिकी होती हैं, उसी तरह हमारा ध्यान आत्मा की तरफ होना चाहिए।

एक पौराणिक कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार शिलाद ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें रत्न समान पुत्र का वरदान दिया था। यह पुत्र, जिसे नंदी के नाम से जाना जाता है, शिव का सबसे बड़ा भक्त, गणों में प्रमुख और महादेव का दिव्य वाहन बन गया। भगवान शिव नंदी की भक्ति से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी की उपस्थिति और पूजा आवश्यक होगी। इसलिए शिव की कोई भी पूजा नंदी को स्वीकार किए बिना और उनकी पूजा किए बिना पूरी नहीं मानी जाती है।

शिव लिंग के सामने नंदी की उपस्थिति दर्शाती है कि जिस प्रकार नंदी शिव से अविभाज्य हैं, उसी प्रकार आत्मा पर हमारा ध्यान हमारे अस्तित्व का अभिन्न अंग होना चाहिए। कथा से पता चलता है कि जब नंदी को शिव लिंग के सामने हमेशा उपस्थित रहने का वरदान दिया गया, तो उन्होंने तुरंत अपना स्थान ले लिया, और शरीर, चरित्र, आचरण और व्यवहार को आत्मा के साथ संरेखित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

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