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इस झील के बारे में कहा जाता है कि इसमें करोड़ों का खजाना है। कई लोग इस खजाने को पाने की हसरत लिए यहां आए लेकिन इसे पाने में कोई कामयाब नहीं हो पाया। इस झील के बारे में ऐसी मान्यता है कि भीम ने इस झील का निर्माण किया जो पाताल से जुड़ा हुआ है। इस झील के पास बाबा कमरुनाग का मंदिर है जिसे वर्षा का देवता माना जाता है। बाबा के नाम से ही यह झील कमरुनाग के नाम से जाना जाता है।
हर साल 14 और 15 जून को बाबा कमरुनाग का दर्शन भक्तों को प्राप्त होता है। इनके दर्शन के लिए लोग रोहांडा नामक स्थान से 8 किलोमीटर घने जंगल और पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पूरी करके आते हैं। रोहांडा हिमाचल प्रदेश के मण्डी नामक स्थान से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
कमरुनाग झील के विषय में मान्यता है कि इसमें सोना, चांदी गहना और धन कुछ भी अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है। इसलिए लोगों को गहने और धन चढ़ते हुए यहां देखा जा सकता है। कहते हैं लोगों की यह भेंट सीधे देवताओं तक पहुंच जाती है।
वर्षो से लोगों द्वारा चढ़ाए गए धन और गहने के कारण ऐसा माना जाता है कि इस झील में अरबों का खजाना पड़ा हुआ है। लेकिन इसे कोई चुरा नहीं सकता क्योकि यह देवताओं का खजाना है जिसकी रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं। वर्षो से लोगों द्वारा चढ़ाए गए धन और गहने के कारण ऐसा माना जाता है कि इस झील में अरबों का खजाना पड़ा हुआ है। लेकिन इसे कोई चुरा नहीं सकता क्योकि यह देवताओं का खजाना है जिसकी रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं।