जानिए नियोन ट्यूब्स की सिद्धांत के बारे में
आपने कभी ये सोचो है की लाइट के छल्ले भी बन सकते है। ये तकनीक का जमाना है इसमें कुछ भी हो सकता है। आपने कभी देखा है की ग्लास ट्यूब के अंदर बिजली के कुछ छल्ले इधर-उधर उछल रहे थे। जब आप इसे ध्यान से देखोगे तो ज्ञात होगा की ग्लास ट्यूब के पास एक टेस्ला कॉइल रखी थी। जिसमें टेस्ला कॉइल में दो इलेक्ट्रॉड्स के बीच में एक स्पार्क गैप होता है, जो कि कुछ देर के लिये कई हज़ार वोल्टेज का इलेक्ट्रिक फील्ड जनरेट करता है। आपको बता दे की यह लार्ज करंट बस कुछ माइनस सेंकेड के लिये ही होता है, इसलिये ज्यादा खतरनाक नहीं होता है।
Quiz & Earn Money go this link : http://quizoffers.online/
इसको और गहराई से जानने के लिए न्यू मैक्सिको के न्यूक्लियर इंजीनियर कार्ल विलीस इस विषय पर शोध कर रहे है। उन्होने अपने इस शोध के बारे में बताया कि अगर हम टेस्ला कॉइल के क़रीब लॉ प्रेशर पर गैस से भरी एक बंद ग्लास ट्यूब रख दे तो वहाँ उत्पन्न इलेक्ट्रिक फील्ड उस गैस के एटम्स को एक्साइट कर देता है। जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन्स इधर-उधर उछलने लगते हैं, और लाइट उत्पन्न होने लगती है।
गैस के अणुओं पर धनात्मक आवेश होता है तथा इलेक्ट्रॉन्स पर ऋणात्मक आवेश होता है। पहले पहल आयनीकरण की प्रक्रिया के तहत ट्यूब में लाइट उत्पन्न होती है, लेकिन यह रोशनी ज्यादा देर तक नहीं रहती। आपको जानकारी के लिए बता दे की नियोन ट्यूब्स में भी यही सिद्दांत काम करता है, बस इनमें प्रेशर थोड़ा कम होता है। इसके बनाने के ए सीएफएल में मर्करी गैस के साथ ऑर्गन, क्रिप्टॉन, ज़िनोन को उपयोग किया जाता हैं।
Also Read :- सवालों के जबाब देकर जीते हजारो रुपये
यदि आपको यह आर्टिकल पसन्द आया हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.
यह है वो 4 भारतीय खिलाडी जिनका 2019 विश्व कप में खेलना पक्का | Top 4 batsman play in world cup 2019
IPL 2018 की ताज़ा ख़बरें मोबाइल में पाने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करे sabkuchgyan एंड्राइड ऐप- Download Now