जानिए वर्ल्ड हेड नेक कैंसर दिवस के बारे में
हस्तक्षेप नहीं हुआ तो 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी
देशभर में प्रतिवर्ष 13.5 लाख से अधिक लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दम तोड़ देते हैं. इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारण भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है. हालांकि देश भर में 27 जुलाई को वर्ल्ड हेड नेक कैंसर डे मनाया जा रहा है. इस अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञों ने एक बहुत ही चिंताजनक आशंका जतायी है कि 21 वीं शताब्दी तक तंबाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी. यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी.
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस(वीओटीवी) के स्टेट पैटर्न व नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, हावड़ा के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सौरभ दत्ता ने बताया कि कि इलाज के 12 महीने के भीतर नये निदान किये गये सिर और गला कैंसर के लगभग आधे मरीज नहीं बच पाते. दो तिहाई सिर और गला का कैंसर तंबाकू के कारण होता है. भारत में प्रतिवर्ष 1.75 लाख हेड नेक कैंसर के नये रोगी हो रहे हैं. वहीं यह आकंड़ा पुरुषों में 76 प्रतिशत और महिलाअों में 24 प्रतिशत है.
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टाटा मेमोरियल अस्पताल और वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक और सर्जिकल ओन्कोलॉजी डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा सिर एवं गला कैंसर, मुंह, कंठनली, गले या नाक में होता है.
हेड एंड नेक कैंसर भारत में कैसर का सबसे बड़ा स्रोत हैं. उन्होंने बताया कि भारत में चबाने वाले तंबाकू से धूम्रपान की तुलना की जाती है. 90 प्रतिशत मुंह और गले के कैंसर का कारण तंबाकू का उपयोग है. तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल भारत में 13.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं जो कैंसर का एक प्रमुख कारण है.
गौरतलब है कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017-18 के अनुसार, तंबाकू की खपत के कुल प्रसार का 28.6 प्रतिशत में भारत में 21.4 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू का उपयोग होता है जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान सिगरेट और बीड़ी का.भारत सरकार ने गुटका, स्वाद, पैकिंग चबाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है. वास्तव में, 23 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत में जुड़वां पैक सहित धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
कैसे होते हैं गर्दन व सिर के कैंसर
गर्दन व सिर के कैंसर से आशय उन ट्यूमर्स से है, जो गर्दन और सिर के हिस्से में होता है. इस हिस्से में ओरल कैविटी, थायरॉइड और थूक ग्रंथि विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. सिगरेट व तंबाकू का सेवन, कुछ खास तरह के विटामिनों की कमी, मसूढ़ों में होने वाली बीमारी इसका खास कारण हो सकते हैं. चिंता की बात यह है कि गले का कैसर किसी भी उम्र में हो सकता है. 20 से 25 वर्ष के युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि 40 से 50 की आयु वाले लोग इसके लक्ष्य पर अधिक हैं.
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