माँ बाप की मौत के 4 साल बाद बच्ची ने लिया जन्म जानिए पूरा सच
नई दिल्ली। आमतौर पर मां अपने बच्चे को आठ से नौ महीने में जन्म देती है। कभी-कभार ऐसा होता है कि बच्चे के जन्म 12 महीने में भी होता है। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि मृत माता-पिता ने 4years साल बाद बच्चे को जन्म दिया हो। आप शायद इस बात पर यकीन ना करे, लेकिन यह सच है। दरअसल, ये घटना चीन की है जहां मां-बाप की मौत के चार साल बाद एक सरोगेट मां ने उनके बच्चे को जन्म दिया है।
बच्चे के असल मां-बाप की एक सडक दुर्घटना में मौत हो गई थी। साल 2013 में मारे गए दंपती ने अपने भ्रूण सुरक्षित रखवा दिए थे। वो चाहते थे कि आईवीएफ तकनीक के जरिए उनका बच्चा इस दुनिया में आए। दुर्घटना के बाद दंपती के माता-पिता ने भ्रूण के इस्तेमाल की इजाजत लेने के लिए लंबी कानूनी लडाई लडी। बीबीसी की खबर के मुताबिक, दक्षिणपूर्वी एशिया देश लाओस की एक सरोगेट मां ने इस बच्चे को जन्म दिया था और ‘द बीजिंग न्यूज’ अखबार ने इसी हफ्ते इसके बारे में छापा। दुर्घटना के वक्त भ्रूण को नांजिंग अस्पताल में माइनस 196 डिग्री के तापमान पर नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा गया था।
कानूनी मुकदमा जीतने के बाद दादा-दादी और नाना-नानी को उस पर अधिकार मिल पाया। रिपोर्ट के मुताबिक पहले ऐसा कोई मामला था ही नहीं जिसकी मिसाल पर उन्हें अपने बच्चों के भ्रूण पर अधिकार दिया जा सकें। उन्हें भ्रूण दे तो दिए गए लेकिन कुछ ही वक्त बाद दूसरी दिक्कत सामने आ गईं। इस भ्रूण को नांजिंग अस्पताल से सिर्फ इसी शर्त पर ले जाया जा सकता था कि दूसरा अस्पताल उसे संभाल कर रखेगा। लेकिन भ्रूण के मामले में कानूनी अनिश्चितता देखते हुए शायद ही कोई दूसरा अस्पताल इसमें उलझना चाहता।
चूंकि चीन में सरोगेसी गैर-कानूनी है, इसलिए एक ही विकल्प था कि चीन से बाहर सरोगेट मां खोजी जाए। इसलिए दादा और नाना ने सरोगेसी एजेंसी के जरिए लाओस को चुना जहां सरोगेसी वैध थी। कोई एयरलाइन लिक्विड नाइट्रोजन की बोतल (जिसमें भ्रूण को रखा गया था) ले जाने को तैयार नहीं थी। इसलिए उसे कार से लाओस ले जाया गया।
लाओस में सरोगेट मां की कोख में इस भ्रूण को प्लांट कर दिया गया और दिसंबर 2017 में बच्चा पैदा हुआ। तियांतियां नाम के इस बच्चे के लिए नागरिकता की भी समस्या थी। बच्चा लाओस में नहीं चीन में पैदा हुआ था क्योंकि सरोगेट मां ने टूरिस्ट वीजा पर जाकर चीन में बच्चे को जन्म दिया। क्योंकि बच्चे के मां-बाप तो जिंदा नहीं थे, इसलिए दादा-दादी और नाना-नानी को ही खून और डीएनए टेस्ट देना पडा ताकि ये साबित हो सके कि बच्चा उन्हीं का नाती/पोता है और उसके मां-बाप चीनी नागरिक थे।