स्वास्थ्य विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 जो अध्ययन करते हैं दुनिया की 99 फीसदी आबादी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर
7 अप्रैल को दुनिया भर में विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व यह है कि आज ही के दिन 72 साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी। इसलिए 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस बना। इस संस्था के माध्यम से आज पूरी दुनिया में लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है। लेकिन कुछ दिनों पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक चौंकाने वाला शोध जारी किया था। शोध के अनुसार, आज दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है, जिसका मतलब है कि पृथ्वी पर लगभग 797 मिलियन लोग वायु प्रदूषण में जी रहे हैं। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ रहा है।
शोध 117 देशों में आयोजित किया गया था
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने 117 देशों के 6,000 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता की जांच की। इसमें पाया गया कि देश पहले से कहीं अधिक वायु गुणवत्ता पर ध्यान दे रहा है। लेकिन इन देशों में रहने वाले लोगों के शरीर में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और बहुत महीन कण प्रवेश कर रहे हैं। यह समस्या निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक प्रचलित है।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड खतरनाक क्यों है?
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) एक अत्यधिक जहरीली गैस है। यह जीवाश्म ईंधन को जला देता है। इसका मतलब है कि गैस चलती वाहनों, बिजली संयंत्रों और खेतों से निकलती है। NO2 से अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
हवा में कौन से कण हानिकारक हैं?
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) इंसान के फेफड़ों के लिए टॉक्सिन का काम करता है। डब्ल्यूएचओ ने इस शोध में पीएम 10 और पीएम 2.5 की जांच की। ये हवा में मौजूद ऐसे कण होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इससे व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो सकती है। दोनों समूहों के कण जीवाश्म ईंधन के जलने से बनते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा हैं।