विकसित देशों और विकासशील देशों के लिए आईएमएफ ऋण उधार विकास दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से निजी क्षेत्र के कर्ज में तेज उछाल आया है। नतीजतन, विकासशील देशों में आर्थिक विकास में अगले तीन वर्षों में 1.3 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, इसका असर विकसित देशों पर भी पड़ेगा। विकसित देशों की विकास दर में 0.9 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। आईएमएफ ने सोमवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में अपने निष्कर्ष जारी किए। आईएमएफ ने भी भारत के लिए भविष्यवाणी की है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय तेल और गैस की कीमतों को कैसे प्रभावित किया? रिपोर्ट में यह भी बताया गया है।
आईएमएफ द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर निजी क्षेत्र का कर्ज जीडीपी के 13 फीसदी तक पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग हर सेक्टर में यह कर्ज बढ़ गया है। इसकी विकास दर 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से भी अधिक है। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र का कर्ज बढ़ रहा है। यह वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र में भी देखी जा रही है।
कर्ज में तेजी से बढ़ोतरी अच्छा संकेत नहीं
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि निजी क्षेत्र के कर्ज में वृद्धि “रूस-यूक्रेन युद्ध के बराबर” थी। आईएमएफ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि निजी क्षेत्र पर युद्ध के प्रभाव का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। ऋण की तीव्र वृद्धि हमेशा के लिए नहीं रहेगी। यह वृद्धि औसत से कम हो सकती है। आईएमएफ ने स्पष्ट किया कि, संक्षेप में, कमजोर आर्थिक स्थितियाँ उधार को प्रोत्साहित करती हैं। यह लागत, वृद्धि और संपत्ति की कीमतों को भी बढ़ाता है। फिर बड़े गुब्बारे भुगतान वाले ऋण हैं। यह स्थिति तब और बढ़ जाती है जब मामला बिगड़ जाता है। इससे कई बार लोन मिलना मुश्किल हो जाता है। आर्थिक स्थिति नाजुक होने पर उधारी बढ़ जाती है।
विकासशील देशों की विकास दर
आईएमएफ के जनवरी के पूर्वानुमान के अनुसार, मई 2022 तक विकसित देशों में विकास दर औसतन 3.9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। 2023 में यह दर 2.6 प्रतिशत होगी। 2022 में विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि 4.8 प्रतिशत होगी। 2023 में यह दर 4.7 प्रतिशत होगी। आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जियोर्जियोवा के अनुसार, निकट भविष्य में आर्थिक विकास की दर और धीमी होने की संभावना है। मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का परिणाम एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
भारत के लिए आईएमएफ पूर्वानुमान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जनवरी में जारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 तक भारत की जीडीपी विकास दर 9 फीसदी रहने का अनुमान है। 2023 में, भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह भविष्यवाणी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से पहले की है। इसलिए रिपोर्ट के अध्ययन के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस की कीमत नियंत्रण में रही।