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डॉक्टर की गलती से डोप में फंसा गोल्ड मेडलिस्ट, लौटाने पड़ सकते हैं पीएम से ईनाम में मिले 40 लाख

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स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला Updated Wed, 31 Oct 2018 09:04 PM IST

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अनाथ आश्रम से निकल डीटीसी बसों में सफाई करते हुए जकार्ता पैरा एशियाड में गोल्ड जीतने वाले नारायण ठाकुर को साई डॉक्टर की गलती बहुत भारी पड़ने वाली है। गांधीनगर साई सेंटर में पैरा एशियाई खेलों की तैयारियों के दौरान ठाकुर को वहां के एक साई डॉक्टर ने खांसी की दवा लिख दी, जिसमें वाडा से प्रतिबंधित बीटा टू एगोनिस्ट टरब्यूटलाइन निकला।

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हालांकि वाडा की सूची में स्पेसीफाइड सब्सटेंस होने के कारण ठाकुर पर अस्थाई प्रतिबंध नहीं लगा है, लेकिन नाडा सुनवाई पैनल के समक्ष अगर वह अपनी बेगुनाही नहीं साबित कर पाए तो एक बार फिर उनकी जिंदगी अर्श से फर्श पर आ जाएगी। उनका न सिर्फ गोल्ड मेडल छीना जा सकता है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए 40 लाख रुपए भी दांव पर लग जाएंगे।

नाडा ने ठाकुर के मामले में प्रारंभिक जांच में पाया है कि गांधीनगर में पैरा एशियाई खेलों की तैयारियों के दौरान डॉक्टर ने उन्हें खांसी की दवा लिख दी, लेकिन उन्होंने ठाकुर को यह नहीं बताया कि इसमें प्रतिबंधित दवा मिली हुई है। 18 सितंबर को नाडा ने ठाकुर का गांधीनगर में ही सैंपल ले लिया जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए। खास बात यह है कि डॉक्टर ने ठाकुर को थेराप्यूटिक यूज एक्जंप्शन (टीयूई) लेने की भी सलाह नहीं दी। ऐसा करने पर ठाकुर के पॉजिटिव होने पर भी उन पर कोई आंच नहीं आती।

छीन सकता है पदक
हालांकि सुनवाई के दौरान ठाकुर पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता है, लेकिन उन्हें दोषी करार दिया जाता है तब भी पैरा एशियाड में जीता गया उनका मेडल खतरे में पड़ जाएगा। वहीं नाडा ने खुलासा किया है कि जिस डॉक्टर ने लापरवाही की है उसके खिलाफ साई से स्पष्टीकरण मांगते हुए कार्रवाई करने को कहा गया है।

ठीक इसी तरह का मामला भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान गोलकीपर सुब्रतो पॉल के खिलाफ आया था। उनके मामले में भी टरब्यूटलाइन पाया गया था जिसमें डॉक्टर की लापरवाही सामने आई थी। सुनवाई के बाद पैनल ने सुब्रतो को बरी कर दिया था।

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