अगले 40 दिन भारत के लिए अहम, जनवरी से बढ़ सकते हैं कोरोना के मामले

दुनियाभर में कोरोना के मामलों को देखते हुए अगले 40 दिन भारत के लिए अहम रहने वाले हैं। जानकारों की मानें तो जनवरी से भारत में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है। चीन समेत कुछ देशों में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एहतियाती कदम उठाने को कहा है. केंद्र ने राज्यों से सभी कोविड अस्पतालों में मॉक ड्रिल कराने को कहा था, जिसके बाद किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए देश के कई अस्पतालों में मॉक ड्रिल कराई गई.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि उपकरण और मानव संसाधन तैयार रखना जरूरी है. पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और भारत में भी संक्रमण बढ़ सकता है. इसलिए जरूरी है कि उपकरण, प्रक्रिया और मानव संसाधन के रूप में कोविड से जुड़ा पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तैयार किया जाए. उन्होंने कहा कि लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए सरकारी और निजी अस्पताल व्यवस्था कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस बार लोगों के लिए कोरोना का संक्रमण ज्यादा गंभीर नहीं है. अगर कोई लहर भी आती है, तो मरीजों की मौत और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बहुत कम होगी। कोरोना के नए वैरिएंट BF.7 पर दवा और वैक्सीन कितनी कारगर, स्वास्थ्य मंत्रालय इसका अध्ययन कर रहा है. पिछले दो से तीन दिनों में 6,000 अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की जांच की गई है, जिसमें 39 अंतरराष्ट्रीय यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचकर जानकारी लेंगे.
BF-7 वैरिएंट जिसने चीन में हलचल मचा दी है, जेनेटिक्स वाला वैरिएंट फरवरी 2021 से अब तक 90 देशों में दिखाई दे चुका है। यह ऑमिक्रॉन के BA.5 सब-वैरिएंट समूह का हिस्सा है। जानकारों का मानना है कि भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत की अधिकांश आबादी में दोहरी रोग प्रतिरोधक क्षमता है, यानी एक प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता और एक ऐसी प्रतिरोधक क्षमता जो वैक्सीन के बाद लोगों के शरीर में बन गई है।
चीन में कोरोना के नए वेरियंट ने बेहद गंभीर रूप ले लिया है। चीन में आए दिन बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। रोजाना का आंकड़ा लाखों में जा रहा है। अस्पताल भरे हुए हैं। मरीजों को जगह भी नहीं मिल रही है और चीन में दवाओं की भारी कमी है.
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