ये एक प्रेम कहानी जिसने भारत का इतिहास बदल दिया जानिए इसके बारे में
भारतीय इतिहास में कई प्रेम कहानियां हुईं जिन्हें आज भी याद किया जाता है। इनमें एक अनोखी प्रेम कहानी थी पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की। पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के आखिरी हिन्दू शासक रहे जिन्होंने दिल्ली पर शासन किया था।
संयोगिता कन्नौज की राजकुमारी थीं। एक बार उनके राज्य में एक चित्रकार आया।
उसके पास कई राजा-रानियों की तस्वीरें थीं। लेकिन कन्नौज की लड़कियां एक तस्वीर की दीवानी हो गईं।
ये तस्वीर किसी और की नहीं बल्कि पृथ्वीराज चौहान की थी।
पूरे राज्य में पृथ्वीराज की ख्याति फैलने लगी थी। ये बातें अब संयोगिता के कानों तक भी पहुंची।
संयोगिता भी देखना चाहती थीं कि आखिर वो कौन राजकुमार है जिसकी दीवानगी पूरा राज्य में फैल गई है। ऐसे में उन्होंने चित्रकार से कह कर पृथ्वीराज चौहान की तस्वीर एक कमरे में रखवाई। तस्वीर देखने के लिए संयोगिता अपनी सहेलियों के साथ उस कमरे में गईं। जैसे ही संयोगिता ने उस तस्वीर को देखा वो देखती ही रह गईं।
वो बातें बिल्कुल सच थीं जो उन्होंने दूसरे लोगों से सुनी थीं।
ये जानते हुए भी की उनके पिता जयचंद के लिए सबसे बड़ा दुश्मन पृथ्वीराज चौहान है वो उसे अपना दिल दे बैठी थीं। इधर चित्रकार कन्नौज छोड़कर दिल्ली पहुंच चुका था। उसने पृथ्वीराज को संयोगिता की तस्वीर दिखाई।
तस्वीर देखते ही पृथ्वीराज चौहान हैरान हो गए, ऐसी खूबसूरती उन्होने अभी तक देखी ही नहीं थी।
पृथ्वीराज अपने लोगों से संयोगिता को संदेश भेजवाने लगे। संयोगिता भी उन्हीं लोगों के हाथों अपना संदेश पृथ्वीराज को भेजती थी। समय के साथ पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की एक दूसरे के लिए चाहत बढ़ती गयी।
लेकिन इससे पहले ये चाहत और बढ़ती इस बात का पता राजा जयचंद को चल गया।
जयचंद ने बिना समय गवाए अपनी बेटी के स्वयंवर की घोषणा कर दी।
जयचंद ने आसपास के सभी राजा महाराजाओं को निमंत्रण भेजा लेकिन पृथ्वीराज चौहान को इस स्वयंवर से दूर रखा।
संयोगिता को जब अपने स्वयंवर के बारे में पता चला तो उन्होंने खुद पृथ्वीराज को एक चिट्ठी लिखी और उनसे शादी करने की इच्छा जाहिर की। जवाब में पृथ्वीराज ने भी भरोसा दिलाया कि वह स्वयंवर में जरूर आएंगे।
संयोगिता के स्वंयवर में देश के सभी राजा महाराजा इसमें पहुंचे।
राजकुमारी संयोगिता जब स्वंयवर में पहुंची तो उनकी नज़रें चारों तरफ पृथ्वीराज चौहान को खोज रही थीं। लेकिन चौहान उन्हें कहीं नज़र नहीं आए। राजकुमारी धीरे-धीरे सभी राजाओं को ठुकरा कर दरवाजे के पास मौजूद उस पुतले के पास पहुंच गईं और माला पृथ्वीराज चौहान के पुतले के गले में डाल दिया।
जैसे ही उन्होंने माला पहनाई पुतले के पीछे से खुद पृथ्वीराज चौहान संयोगिता के सामने आ गए।
ये देखकर सभी लोग हैरान थे। राजा जयचंद्र का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था।
उन्होंने फौरन सेना को पृथ्वीराज चौहान को बंधक बनाने का आदेश दे डाला।
वहीं दूसरी तरफ पृथ्वीराज चौहान संयोगिता को लेकर राज्य से भाग निकले थे। जयचंद्र के लिए ये अपमान था। ऐसे में उसने मोहम्मद गौरी से हाथ मिला लिया।
मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान का सबसे बड़ा दुश्मन था।
गौरी के साथ मिलकर जयचंद ने दिल्ली पर हमला कर दिया, फिर जो हुआ वो इतिहास है।