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घर में बिल्ली का आना होता है अशुभ, जुड़े हैं और भी अनोखे राज

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वास्तु शास्त्र में शकुन – अपशकुन का महत्व सभ्यता के प्रारंभ से ही किसी ना किसी अवधारणा के रूप में विद्यमान रहा है. यात्रा पर जाते समय बिल्ली द्वारा रास्ता काट दे तो ऐसी मान्यता है कि काम बिगड़ जाता है. अतः कुछ समय के लिए लोग अपना जाना स्थगित कर देते हैं धारणा के अनुसार बिल्लियों का दिखाई देना या इसकी आवाज को भी अपशकुन माना जाता है.

शास्त्रानुसार सोते समय बिल्ली का व्यक्ति पर गिरना उसकी मृत्यु का प्रतीक माना जाता है.बिल्ली का रोना तथा आपस में लड़ना गृहक्लेश का सूचक है यदि बिल्ली किसी वृद्ध स्त्री के सिर पर पंजा मार दे तो उस स्त्री के नाती-पोतों पर संकट पैदा हो जाता है.बिल्ली का चुपके से दूध पी जाना धन के नाश का प्रतीक है बिल्ली का पालना भी अशुभता का प्रतीक है.

शास्त्रों ने अलक्ष्मी को राहू का प्रतीक माना है. राहू परम अशुभता का प्रतीक है. अलक्ष्मी सैदेव बिल्ली की सवारी करती हैं.ऐसा देखा जाता है की जहां मांस और मदिरा का भक्षण किया जाता है.कुछ धर्मो में बिल्ली को जिन्नातों के साथ भी जोड़ा जाता है.ऐसा माना माना जाता है जहां बिल्ली निवास करती है वहां जिन्न और प्रेत निवास करते हैं.

वास्तु शास्त्र के अनुसार बिल्ली राहू का प्रतीक है.यह सैदेव कबूतरों और पक्षियों का शिकार करती है चूहे तथा पक्षी केतु ग्रह का प्रतीक माने जाते हैं.जिस घर में चूहे यां पक्षियों का शिकार बिल्ली द्वारा किया जाता है. वहां राहू का प्रबल और केतु का निर्बल हो जाता है केतु के निर्बल होने से निम्न समस्याएं उत्तपन्न होती हैं.

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