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हेल्थ डेस्क: साइंस की बात करें तो जब कोई महिला गर्भवती हो जाती हैं तब गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तन के बारे में महिलाओं को सही जानकारी होनी चाहिए ताकि महिलाएं खुद का ख्याल रख सकें। आज जानने की कोशिश करेंगे गर्भ ठहरने के बाद शरीर में होने वाले परिवर्तन के बारे में की गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं के शरीर में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं। तो आइये जानते हैं विस्तार से की गर्भ ठहरने के बाद शरीर में होते हैं ये चार परिवर्तन।
1 .पीरियड्स रूक जाता हैं, जब कोई महिला गर्भवती हो जाती हैं तब गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं का पीरियड्स रूक जाता हैं। क्यों की गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं के गर्भाशय में भूर्ण का विकास होने लगता हैं जिसके कारण पीरियड्स आने की समस्या रूक जाती हैं। इस बदलाव के बारे में सभी महिलाओं को सही जानकारी होनी चाहिए ताकि महिलाएं अपना ख्याल रख सकें। इतना ही नहीं जब तक महिला शिशु को जन्म नहीं देती हैं तब तक पीरियड्स नहीं आते हैं।
2 .वजन में बढ़ोत्तरी, गर्भ ठहरने के बाद जब महिलाओं के गर्भाशय में भूर्ण का विकास होने लगता हैं तब महिलाओं को बजन में बढ़ोत्तरी होती हैं। जैसे जैसे गर्भाशय में भूर्ण शिशु का रूप लेता हैं वैसे वैसे महिलाओं के वजन में वृद्धि होती रहती हैं। ऐसे तो ये समस्या सामान्य मानी जाती हैं। लेकिन इस दौरान महिलाओं को डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि उसे भविष्य में किसी बड़ी परेशानी का सामना करना ना पड़ें और उसका शरीर स्वस्थ और सेहतमंद रह सके।
3 .उल्टी और मितली, गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं के शरीर में सबसे बड़ा बदलाव उल्टी और मितली की समस्या होती हैं। जब कोई महिला गर्भवती हो जाती हैं तब उसके शरीर में प्रेग्नेंसी हार्मोन्स का निर्माण होता हैं। जिसके कारण महिलाओं को उल्टी और मितली की समस्या हैं। इस बदलाव को एक नॉर्मल बदलाव माना जाता हैं इससे महिलाओं को चिंतित होने की कोई ज़रूरत नहीं हैं। लेकिन अगर ये समस्या आवश्यकता से अधिक होती हैं तो महिलाएं डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
4 .तनाव और डिप्रेशन, गर्भ ठहरने के बाद महिलाओं के शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो कम जाता हैं। जिससे महिलाओं के दिमाग में तनाव और डिप्रेशन की समस्या जन्म ले लेती हैं। साथ ही साथ महिलाएं खुद को चिड़चिड़ा महसूस करती हैं। शरीर के इस बदलाव को महिलाएं नजरअंदाज ना करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। क्यों की तनाव और डिप्रेशन के कारण गर्भ में भूर्ण का विकास ठीक तरीकों से नहीं हो पाता हैं और महिलाएं मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाती हैं।
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