खांसी को ठीक, खून बढ़ाने और आँखों की शक्ति बढाती है मुलैठी
सूखी लकड़ी की तरह दिखनेवाली मुलैठी अंदर से पीली, रशेदार और हल्की गंधवाली होती है। पान में भी डाल कर खायी जाती है। यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का नाश करती है। मुलैठी को काली मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर इसे शहद के साथ खाएं। इसे एक कप ग्राम पानी में भिगो दें। कुछ देर बाद मुलैठी को पानी से बाहर निकाल लें और कप धीरे-धीरे पिएं। इसे चाय में डाल कर भी पी सकते हैं।
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इसे अदरक, तुलसी के रस और शहद के साथ पीस कर बने पेस्ट के रुप में भी इस्तेमाल कर सकते है। चाहें, तो खांसी हाेने इसका एक छोटा सा टुकड़ा मुंह में रख कर चूस सकते हैं। इससे खांसी और गले की सूजन ठीक होती है।
मुलैठी का एक ग्राम चुर्ण रोज नियमित रूप से खाने से सुंदरता को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। लगभग एक महीने तक आधा चम्मच मुलैठी का चूर्ण सुबह- शाम शहद के साथ चाटने से मासिकधर्म संबंधी सभी रोग दूर होते है। फोड़े होने पर मुलैठी का लेप” लगाने से जल्दी ठीक हो जाते हैं। लगभग 4 ग्राम मुलैठी का मुंह के छालो पर लगाने से आराम मिलता है।रोजाना आधा ग्राम मुलैठी रोज खाने से खून बढ़ना है।
जलने पर मुलैठी और चंदन का लेप लगाने से ठंडक मिलती है। मुलैठी की जड़ पेट के घावों को भरने में मदद करती है। यह पेट के अल्सर और टीबी के रोग में भी फायदेमंद है। सुबह 3-4 ग्राम मुलैठी चूर्ण खाने से आंखों की शाक्ति बढ़ती है। खून की उल्टियां आने पर दूध के साथ मुलैठी का चर्ण लैने से फायदा होता है। खून की उल्टी होने पर इसे शहद के साथ भी लिया जा सकता है।
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