क्या आप जानते है कितना होना चाहिए हीमोग्लोबिन और खून में आयरन ?

जहाँ एक ओर आपके शरीर में आयरन की कमी होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है वहीँ आयरन की अधिकता भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि आयरन स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक तो है मगर संतुलित मात्रा में। एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में आयरन की मात्रा 20 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। क्योंकि आयरन की अधिकता होने पर हीमोक्रोमेटिक रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

यूँ तो आपके शरीर में आयरन का मुख्य कार्य रक्त के प्रमुख घटक- लाल रुधिर कणिकाओं का निर्माण करना है। आयरन से ही हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी होता है। जो आपके शरीर के अंग-प्रत्यंगों को हष्ट पुष्ट और सुडौल बनाकर शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

हड्डियों के अंदरूनी भाग में पाया जाने वाला एक प्रकार का गूदा या अस्थिमज्जा इन रक्त कणों की फैक्ट्री है। अस्थिमज्जा में ही रक्त कण उत्पादित होते हैं। जिनमें लाल रक्त कणों की अधिकता होती है। इसी कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है। एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में लगभग 50 लाख लाल रक्त कण होते हैं। रक्त की एक बूंद को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त के लाल कण गोल-गोल तश्तरियों की तरह दिखाई देते हैं। जो किनारे पर मोटे और बीच में चपटे दिखाई देते हैं।

इन लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन होता है। लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरीनुमा आकृति के अंदर 30% भाग हीमोग्लोबिन का होता है। अस्थिमज्जा में ही विटामिन बी-6 यानी पाइरिडॉक्सिन की उपस्थिति में आयरन, ग्लाइलिन नामक एमिनो एसिड से संयोग कर ‘हीम’ नामक यौगिक बनाता है, जो ग्लोबिन नामक प्रोटीन से मिलकर हीमोग्लोबिन बनाता है। यह हीमोग्लोबिन ही रक्त का मुख्य प्रोटीन तत्व है। हीमोग्लोबिन की समुचित मात्रा पुरुष में 15 ग्राम और महिला में 13.6 ग्राम प्रति 100 मिलीलीटर रक्त में होती है।

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