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किसी अमृत से कम नहीं है यह घास,अगर मिल जाए तो कभी छोड़ना मत

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Nagarmotha se aankhon ka ilaj

हम जिस पौधे की घास की बात कर रहे है वह नागरमोथा है। जो पूरे हिन्दुस्तान काफी मात्रा में उगता है। नागरमोथा से इत्र बनता है और औषधि के रूप में नागरमोथा का उपयोग होता है। नागरमोथा पूरे हिन्दुस्तान में नमी तथा जलीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में मिलता है। इसके पौधे समुद्र तल से 6 हजार फुट की ऊंचाई तक पाये जाते हैं। राजस्थान जैसे बहुत ही शुष्क प्रदेश में भी बारिश के मौसम में और पोखर के किनारों पर यह घास अधिक अधिक मात्रा में देखने को मिलता है।नागरमोथा की पत्तियां 6 इंच लम्बी और काफी पतली होती है।

नागरमोथा को पीस कर उस में गुड़ को मिलाकर उसकी गोलियां बनाकर स्त्रियों को खिलाने से स्त्रियों को आने वाला मासिक-धर्म ठीक हो जाता है।

गठिया रोग वाले व्यक्ति को नागरमोथा और गोखरू को समान मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बनाके सेवन करवाने से गठिया के रोग में काफी लाभ मिलता है।

नेत्र का रोग होने पर नागरमोथा को रात को एक मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर उसे भिंगों दें।सुबह उठकर उस पानी को छानकर उससे अपनी आंखों को धोने से 7 दिन में नेत्र रोग दूर हो जाते है।

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