ऐसा मंदिर जिसके आगे दुनिया के सारे वैज्ञानिक हार गई क्या है इस मंदिर का रहस्य

अपना पुरानी कथा आपने तो सुना ही होगी कि भारत एक ऐसी भूमि है. जिस पर देव लोक का वास है. यहां सतयुग में भगवान ने तक जन्म ले लिया है.और भारत देश में कई बड़े-बड़े महान ऋषि-मुनियों में भी अच्छी शिक्षा देकर अच्छे गुरु की भी संरचना की है. इसी बीच भगवान ऋषि-मुनियों और शिष्य के बीच किया बात है. इस मंदिर से जुड़ी हुई इस मंदिर में एक ऐसी ज्योतिर्लिंग है. जिसे के बारे में हम आपको बता रहे हैं और इस ज्योतिर्लिंग के बारे में आज तक वैज्ञानिक भी अंदाजा या खोज नहीं कर पाए हैं. भारत में ऐसे ही चौका देने वाली हकीकत है जो भगवान को दर्शाती है. और मनुष्य जीवन में मनुष्य को यह मानना ही पड़ता है कि उनकी जीवन का कर्ता धर्ता और संरचना करने वाला ऊपर वाला ही है और उसकी रक्षा करने वाला भी वही है. तो आइए हम आपको बताते हैं. आज इस रहस्यमई राज का खुलासा!

Such a temple, before which all the scientists of the world have lost what is the secret of this temple

हिंदू धर्म में कई ऐसे चमत्कार भरे पड़े हैं जिसे वैज्ञानिक भी नहीं समझ पा रहे हैं. आज विज्ञान ने चाहे जितना विकास कर लिया हो लेकिन फिर भी भारत के कई जगहों पर मिले ऐसे प्रमाण इस बात को झूठलाते हैं कि यह सब विज्ञान समझ सकती है.!

आज हम आपको ऐसे 1 मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने विज्ञानिकों को भी सोच में डाल दिया है. यह मंदिर स्थित है कांगड़ा डिस्ट्रिक्ट हिमाचल प्रदेश में और उसका नाम है, ज्वाला जी मंदिर यहां पर कई वैज्ञानिक आए और उन्होंने इस अग्नि का निरीक्षण किया. पहले तो उनका मानना था कि इस अग्नि का कारण यहां से निकलने वाली कोई गैस है. लेकिन गहन अध्ययन के बावजूद वैज्ञानिक भी यह समझ नहीं पाएगी यह कौन सी गैस है. क्योंकि यह गैस केवल इस मंदिर के अंदर ही ज्वलनशील है,बाहर इसका निरीक्षण कर पाना मुश्किल था.

दरअसल माता सती के शरीर के 51 हिस्से जहां भी गिरे, वहां पर शक्तिपीठ स्थापित किए गए. इस जगह पर उनकी जीभ गिरी थी इसलिए यहां हजारों सालों से ज्वाला जल रही है. अगर आप यहां पर जाकर देखेंगे तो आपको 9 जगहों से अग्नि जलती हुई दिखाई देगी और यह दुर्गा के नौ रूपों को दर्शाती है.

वैज्ञानिकों ने कई बार इस पर परीक्षण किया लेकिन कुछ समझ नहीं आया और वहां नहीं समझ पाए कि इस रहस्यमय राशि का कारण क्या है पर उन्होंने तो प्रयास किया है पर बाहर के और हो सके तो दुनियाभर के शब्द एक्सप्रेस को बुलाकर इसकी जांच करवाई आखिर में थक हार के उन्होंने यह शोध बंद कर दिया.

Comments are closed.