आयुर्वेदिक मेडिकेटेड घी खाने दूर होंगे कई गंभीर रोग, जल्दी जानिए

घी का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। आयुर्वेद में घी को एक चमत्कारी औषधि के समान बताया गया है। दिन भर में 15 से 20 एमएल यानी दो से तीन चम्मच की मात्रा में घी खाने का सेवन करना शरीर के लिए काफी लाभकारी होता हैं।

सीमित मात्रा में घी का सेवन करने पर यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता साथ ही शरीर का मेटाबॉलिज्म भी अच्छा बनाता हैं। आयुर्वेद में काली मिर्च, पिपली, नागरमोथा आदि औषधियों से आयुर्वेदिक घी बनाया जाता हैं।

यह सभी औषधियां शरीर में अलग-अलग तरह से काम करती है जैसे काली मिर्च में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया, गले में सूजन, फेफड़ों में दर्द, और टॉन्सिल जैसे समस्याओं में आराम देते हैं। इसी प्रकार सौंठ जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए, वजन घटाने के लिए, सूजन को कम करने के लिए काम में लाई जाती है।

वहीं दूसरी और नागरमोथा औषधि पाचन क्रिया ठीक करने के लिए और पेट के रोगों से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इन आयुर्वेदिक चीजों से बना हुआ घी खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, शरीर की कमजोरी दूर होती है, बाल हमेशा काले घने बने रहते हैं, हड्डियों और मांसपेशियों में मजबूती आती है।

जबकि नीम, इंद्रायण, पटोल पत्र आदि से तैयार किया गया घी स्किन एलर्जी, फोड़े-फुंसी, स्किन डिजीज आदि समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। बालों को काला, लंबा और घना बनाने के लिए बहमीबूटी, जटामांसी, शंखपुष्पी आदि औषधियों से तैयार घी का सेवन करना लाभदायक सिद्ध होता हैं।

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