क्या है अच्छे स्वाथ्य का राज, आइए जानते हैं

आजकल के इस भागदौड के जीवन मे अपने स्वाथ्य का कैसे खयाल रखे? यह सवाल करने के लिये भी हमे वक़्त नही मिलता। आज के समय मे औसत लोगो की आयु 60से 65 साल है।बात ये है की हमने इस शरीर को भीतर से बनाया है। तो इस शरीर को बनाने वाला भीतर है। अगर आपको कोई मरम्मत करानी है तो आप निर्माता के पास जाना चाहेगें या लोकल मेकैनिक के पास? अगर आपकी पोहोच हो तो आप निर्माता के पास ही जाना चाहेंगे और अगर आपकी पोहोच नही है तो आप मरम्मत के लिये लोकल मेकैनिक के पास जायेंगे।

अगर मैडिकल साइंस नही होता तो आधे लोग मर चुके होते। क्योंकि सन 1947 मे भारतीय की औसत आयु 28 साल थी और आज ये बढकर 64 साल हो गयी है। पिछ्ले 30,40 सालो मे विज्ञान ने बहूत कुछ हासिल किया।सवाल बस ये है की अगर आपके पास उस स्त्रोत तक पोहोच होती जिसने इस शरीर मे रोग का निर्माण किया है तो निश्चित रुप से हर उस समस्या को सम्भाला जा सकता है जिसे आप शरीर मे भीतर से पैदा करते है।

बीमरियां 2 तरह की होती है- 1) संक्रामक 2) पुरनिरोक।

हमे संक्रामक रोग किसी बाहरी वायरस के हमले की वजह से होते है। इस के इलाज के लिये आपको वैद्य के पास जना होगा। बैठ कर ध्यान कारने की कोशिश ना करे। लेकिन इस धरती पर 70% बीमारिया खुद की बनायी हुई है। मतलब यह बीमारियाँ आपके भीतर से पैदा हो रही है और हमारे भीतर की बीमारी भीतर से ही ठीक की जा सकती है।

आपके पास जो कुछ बाहर से आता है उसके लिए बाहर से ही मदत लेनी चाहिए। अगर आपको किसी जीवाणु से लढणा है तो आपको दवा चाहिए पर भीतर की बीमारिया ठिक करने के लिये आपको आपके अपने शरीर को खुश रखना होगा और मन को भी। आपको वह काम करना होगा जिससे आपको खुशी मिलें। आपको सिर्फ वही करना है जिससे आपका शरीर और अंतरमं खुश हो, संतुष्ट हो।

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